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विश्वकर्मा जयंती के दिन पूजा करने से बढ़ता है कारोबार होता है धनलाभ, जानिये इसका महत्त्व और पूजा विधि...

Sep 16 2019

Posted By:  Sanjay

इस साल विश्वकर्मा जयंती 17 सितम्बर 2019 को मनाई जायेगी | विश्वकर्मा जयंती शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन पर ही मनाई जाती है | भगवान विश्वकर्मा का जन्म माघ शुक्ल त्रोदशी के दिन हुआ था | इनको भगवान शिवजी का अवतार ही माना जाता है और ये दुनिया के सर्वप्रथम वास्तुकार और इंजीनियर माने जाते  है | विश्वकर्मा जयंती के दिन कारखानों, फैक्ट्रियों और उधोगो मैं पूजा की जाती है | ऐसा कहा जाता है की इस दिन कारखानो और फैक्ट्रियों मैं मशीनों की पूजा की जाती है तो कारोबार मैं खूब तरक्की की जाती है | इस दिन ज्यादातर सभी कारखानों मैं पूजा की जाती है और इस दिन ज्यादातर सभी कारखाने बंद ही रहते है | विश्वकर्मा जयंती के दिन विशेषरूप से शिल्पकार, कलाकार और औधोगिक क्षेत्र से जुड़े लोग विश्वकर्मा जी की पूजा करते है | 


विश्वकर्मा पूजा का महत्त्व 
अगर विश्वकर्मा जयंती के दिन पूजा करने का धार्मिक महत्त्व देखा जाय तो ये उन लोगो के लिए सबसे ज्यादा महत्त्व रखता है जिनके कारखाने, फैक्ट्रियां, कलाकार और शिल्पकार है | इस दिन भगवान विश्कर्मा की पूजा करने से उद्योग धंधो, कारखानों और फैक्ट्रियों के कारोबार मैं खूब बढ़ोत्तरी होती है और उनको धनलाभ भी खूब होता है | उनके व्यापार मैं भगवान विश्कर्मा की कृपा से कोई रुकाबट नहीं आती है और उनके जीवन हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है |



विश्वकर्मा जयंती के दिन पूजा करने की विधि 


आप विश्कर्मा जयंती के दिन सबसे पहले आप ऐसा करे भगवान विश्कर्मा जी की मूर्ति मंदिर मैं स्थापित करें | जो लोग विवाहित है वो अपने जीवन साथी के साथ भगवान विश्कर्मा जी की पूजा कर सकते है | जो लोग अस्त्र, शास्त्र, महल और आभूषण बनाने का कार्य करते है वो लोग ऐसा करें इस दिन उद्योगों मैं या कारखानों में अपनी मशीनों की पूजा करें | सर्वप्रथम चावल, फूल, मिठाई, रोली, सुपारी, धूप, द्वीप और रक्षा सूत्र विश्वकर्मा जी की तस्वीर के सामने रखना चाहिए | इसके बाद आप विश्वकर्मा जी की तस्वीर पर सच्चे मन से फूल अर्पित करें |
 
ये सब करने के बाद आप औजारों मशीनों को पर तिलक और अक्षत जरूर लगाए और फूल अर्पित करें उसके बाद आप विश्वकर्मा जी को मिठाई का भोग लगाए और सभी लोग कर्मचारी मिलकर विश्कर्मा जी की आरती जरूर करे और प्रसाद सभी लोगो मैं बांटे और अगले दिन विश्वकर्मा जी की मूर्ति का विसर्जन का विसर्जन करने का भी विधान माना जाता है |
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